Tuesday, December 7, 2010

सुर्ख लब..

गिरा दो ये चिलमन नकाब किसने माँगा है..
दो धड़कने मुन्तजिर बन जाए..
आज..
हिसाब किसने माँगा है !!


हरेक जिस्म पे रंगत..  
हरेक पर वस्ल का सुरूर..
पोशीदा लबो को टकराने दो..
आज..
लिहाज़ किसने माँगा है !!

Friday, October 1, 2010

तेरे नैना..मद्धम मद्धम

तुम्हे खुद भी नहीं पता शमा हो तुम..
दो जहां से भी रोशन जहां हो तुम !!



सितारों की भी रौशनी आज थम जाएगी..
चांदनी भी यहाँ आ कर जम जाएगी..

 
 
यू न देखो किसी को कभी गौर से..
 चलती नब्जे किसी की भी थम जाएगी !!

Wednesday, September 29, 2010

तुम्हे खुद भी नहीं पता शमा हो तुम..
दो जहां से भी रोशन जहां  हो तुम !!

सितारों की भी रौशनी आज थम जाएगी..
चादिनी  भी यहाँ आकर जम जाएगी !!

यू न देखो किसी को कभी गौर से..
 चलती साँसे किसी की भी थम जाएगी !!

Friday, September 10, 2010

नाजुक काँटे ..

ज़िन्दगी की बिखरती मौजों में कही..
वो किनारा मेरा छूट कर रह गया !!

आती जाती साँसों के धुए में कभी..
 मेरा रहबर कही रूठ कर रह गया  !!

उसने मुझसे कहा टूट कर मत जियो..
बस इसी बात पर टूट कर रह गया !!

मेरे ज़ज्बात समझेगे क्या ये पुतले कभी..
अब यही सोच कर बस मै चुप रह गया  !!