तुम्हारे लिए पता है.........कहने का मन होता है ----- जो दिखता है , वो होता नहीं ..और जो लगता है कि हो रहा है है,...वही दरअसल होता नहीं .:)
चलो ये पुतले कुछ तो समझने लगे..
जज्ब जो जज्बात ,दिल में 'साँझ के सागर' केसाहिल पर बैठे हुए क्या सुन सकेंगे ??अफ़सोस इतना है मगर ,चमकना था सूर्य बनकर के जिसे ,एक टुकड़ा धूप का बन रह गया .
तुम्हारे लिए पता है.........कहने का मन होता है ----- जो दिखता है , वो होता नहीं ..और जो लगता है कि हो रहा है है,...वही
ReplyDeleteदरअसल होता नहीं .:)
चलो ये पुतले कुछ तो समझने लगे..
ReplyDeleteजज्ब जो जज्बात ,
ReplyDeleteदिल में 'साँझ के सागर' के
साहिल पर बैठे हुए क्या सुन सकेंगे ??
अफ़सोस इतना है मगर ,
चमकना था सूर्य बनकर के जिसे ,
एक टुकड़ा धूप का बन रह गया .