Tuesday, December 7, 2010

सुर्ख लब..

गिरा दो ये चिलमन नकाब किसने माँगा है..
दो धड़कने मुन्तजिर बन जाए..
आज..
हिसाब किसने माँगा है !!


हरेक जिस्म पे रंगत..  
हरेक पर वस्ल का सुरूर..
पोशीदा लबो को टकराने दो..
आज..
लिहाज़ किसने माँगा है !!