Farishta
Wednesday, September 29, 2010
तुम्हे खुद भी नहीं पता शमा हो तुम..
दो जहां से भी रोशन जहां हो तुम !!
सितारों की भी रौशनी आज थम जाएगी..
चादिनी भी यहाँ आकर जम जाएगी !!
यू न देखो किसी को कभी गौर से..
चलती साँसे किसी की भी थम जाएगी !!
Tuesday, September 14, 2010
Friday, September 10, 2010
नाजुक काँटे ..
ज़िन्दगी की बिखरती मौजों में कही..
वो किनारा मेरा छूट कर रह गया !!
आती जाती साँसों के धुए में कभी..
मेरा रहबर कही रूठ कर रह गया !!
उसने मुझसे कहा टूट कर मत जियो..
बस इसी बात पर टूट कर रह गया !!
मेरे ज़ज्बात समझेगे क्या ये पुतले कभी..
अब यही सोच कर बस मै चुप रह गया !!
Wednesday, September 8, 2010
उसकी आख़िरी चार लाइने..
छलका आँखों का पैमाना आज की रात..
साकी बनकर याद है आई आज की रात !!
रूहों के मिलने की जब थी कसमे खाई ..
फिर क्यों है आई तन्हाई आज की रात !!
Thursday, September 2, 2010
खामोश आईना..
तन्हा शामे किसी को आज भी मांगती है..
ऐ काश..
जाने वालो का रुख़ मोड़ दे कोई !!
डर लगने लगता है झील के
खामोश आईने
से भी..
अपनी यादो की कंकड़ फेककर इसे तोड़ दे कोई !!
दीदार कर ल़ू इस ख़ुदा का ..
उस ख़ुदा से मिलने से पहले ..
या ख़ुदा..
इन टूटती साँसों को जोड़ दे कोई !!
सारे जहाँ का दर्द मुट्ठी में छुपा रखा है
बीती बातो को.. काली रातो को.. जाती साँसों को..
और मुझको..
तन्हा छोड़ दे कोई !!
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