Friday, October 1, 2010

तेरे नैना..मद्धम मद्धम

तुम्हे खुद भी नहीं पता शमा हो तुम..
दो जहां से भी रोशन जहां हो तुम !!



सितारों की भी रौशनी आज थम जाएगी..
चांदनी भी यहाँ आ कर जम जाएगी..

 
 
यू न देखो किसी को कभी गौर से..
 चलती नब्जे किसी की भी थम जाएगी !!

4 comments:

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  2. कई दिनों बाद लिखा कुछ........अच्छा लगा
    अच्छा प्रयास अपने भावो को शब्दों में पिरोकर कागज में उतरने का.....
    दो शब्द अपनी ...और शायद आपकी और कुछ और सेंसिटिव लोगो की मनोदशा के लिए ....
    कहना चाहती हूँ ---

    तुम्हे नहीं पता -कहाँ हो तुम ;
    जहाँ नहीं होना चाहिए, वहां हो तुम;
    इस कदर जो नहीं करना चाहते है ;
    वही करते है,चाहे हम हो या तुम......

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  3. Hey!.... kuchh likho yaar...]
    kyu marhoom kar rahe ho jamane ko apne khubsurat khayalo se ,kavita bankarinhe bikhar jane .....
    tum nahi jante ye tumhare hone ka sakshy , tumhari jeeevantata ka suboot hai, inhe jara blog tak aane do!! :)

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